Tuesday, June 19, 2012

cast the vote against caste system


Please vote for Lenin Raghuvanshi/PVCHR, my organisation, for the Roland Berger Human Dignity Award.  

Process of Voting: 

When you click the link http://www.human-dignity-forum.org/2012/05/lenin-raghuvanshi/  you can see the number of votes. Press on that than Thank you will come. Click on thank you and you cast your vote. You can also post your comment below. Please mobilise your friends if you believe or support the cause of my organisation.

Tuesday, June 5, 2012

Vote for Lenin Raghuvanshi for Roland Berger Human Dignity Award: Please vote Lenin Raghuvanshi as reconciliation mo...

Vote for Lenin Raghuvanshi for Roland Berger Human Dignity Award: Please vote Lenin Raghuvanshi as reconciliation mo...: Please vote for  Lenin Raghuvanshi /PVCHR, my organisation, for the Roland Berger Human Dignity Award.   Process of Voting:  Whe...

Thursday, May 31, 2012

Vote for Dr. Lenin

Please vote for Dr Lenin Raghuvanshi/PVCHR, my organisation, for the Human Dignity Award. http://www.human-dignity-forum.org/2012/05/lenin-raghuvanshi/

When you click the link, you can see the number of votes. Press on Thank you and you cast your vote. You can also post your comment below. Please mobilise your friends if you believe or support the cause of my organisation

Wednesday, March 21, 2012

Peace with out justice is culture of silence with impunity


Please light the candle on UN anti-Racism Day(21 March) in support of Neo-Dalit Movement: broader unity of broken people against Caste system,Communal Fascism and neo-liberal policy. It is in support of justice,secularism,peace,non-violence and prosperity.

Peace with out justice is culture of silence with impunity.Lenin Raghuvanshi
Event of Facebook:
http://www.facebook.com/#!/events/360196254002876/

Thursday, March 1, 2012

Monday, January 16, 2012

Open letter to all Poltical parties

                              

चुनाव के बहाने : खुला पत्र

राजनैतिक पार्टियो को बच्चो की भूखमरी व कुपोषण पर

प्रवासी मज़दूरो यहां पर अपनी बातचीत मुसलमानो, बुनकरो, मुसहरो एवम घसिया आदिवासी समुदाय के सन्दर्भ मे रख रही हु, क्योकि एतिहासिक रूप से शोषण के शिकार समुदाय एवम नवउदारवादी नीतियो के कारण दस्तकारी व बिनकारी की तबाही से प्रवासी मज़दूर बनने को मज़बूर हो गये है ! 

सांझा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध बिनकारी 1990 के दशक के बाद नवउदारवादी नीतियो की शिकार हो गयी ! बनारसए टाण्डा - अम्बेडकर नगर, मऊ, मुबारकपुर आज़मगढ, पिलखुआ गाजियाबाद, सरघना - मेरठ के बिनकारी का धन्धा बन्द होना शुरू हुआ, जिससे लाखो की संख्या मे ( वाराणसी मे तकरीबन एक लाख ) बुनकरो ने सूरत और बंगलुरू की तरफ पलायन किया ! बिनकारी छोड्कर रिक्शा चलाना, गारा - मिट्टी का काम ( मकान बनाने ) आदि शुरू किया, वही शहरो से अपनी म्ंहगी जमीन बेचकर सस्तो दाम वाली जमीन या किराये के मकान मे शहर से बाहर की ओर बसना शुरू किये !

टाण्डा मे दलित बुनकर का बच्चा प्रीतम की मौत हो या बनारस मे विशम्भर के बच्चो की मौत, यह तो जारी ही था, परंतु सबसे अधिक हालत खराब मुस्लिम बुनकरो की हुई, शहर से प्रवास कर गये हुए मुस्लिम बुनकरो के नयी बस्ती, टोले धन्नीपुर गांव मे कुपोषण से होने वाली मौतो ने एक नया आयाम जोडा है !

आंगनवाडी एवम सार्वजनिक वितरण प्रणाली से दूर मुस्लिम बुनकरो के इन टोले मे खाद्य असुरक्षा शुरू हुई, जिसमे 14 बच्चे तीसरे और चौथे श्रेणी मे कुपोषण के शिकार थे, अति कुपोषित शाहबुद्दीन को अस्पताल मे भर्ती कराया गया ! यह मामला मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने शासन प्रशासन, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवम मीडिया के संज्ञान मे लाया, वही दूसरी तरफ संगठन के साथियो ने शाहबुद्दीन को उसके खून की कमी को पूरा करने के लिए अपनी खून दिया, किन्तु इसके बाद भी उसकी शहादत हो गयी, संगठन ने पुन: शासन - प्रशासन पर दबाब बनाने के लिए मीडिया मे घटना को प्रकाशित कराते हुए पूरी दुनिया मे हंगर एलर्ट जारी किया ! इस हस्तक्षेप के बाद कमिश्नर, जिलाधिकारी सहित विभिन्न अधिकारियो ने उस इलाके का दौरा किया और अति कुपोषित बच्चो को जिला अस्पताल मे भर्ती कराया, जहा डाक्टरो ने कहा " बच्चो को चिकित्सा नही, पोषक खाद्य की जरूरत है !" पोषक भोजन नही मिलने पर इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ मिलकर भोजन के लिए जिला अस्पताल के सामने भीख मांगना शुरू किया ! इस अभियान से अखबारो व मीडिया मे अनेक बहस शुरू हुई, जिसके कारण धन्नीपुर मे कई आंगनवाडी खुली, सभी गरीब मुस्लिम बुनकरो को लाभ और साथ ही राशन के लिए सफेद कार्ड मिला,. एन. एम. का बस्ती मे आना शुरू किया ! परिणामत: इस इलाके मे भूख और कुपोषण से होने वाली मौते बन्द हुई !

बुनकरो के बच्चो की कुपोषण से होने वाली मौतो की खबरे बी. बी. सी., वाशिंगटन पोस्ट, आई. बी. एन. 7, सी. एन. एन. से लेकर उच्च न्यायालय, विधान सभा एवम संसद तक गूंजने लगी ! आज अनेको आगंनवाडी, स्वास्थ्य बीमा योजना एवम 6 हज़ार करोड का पैकेज बुनकरो के बीच आया है !

वही पूर्वी उत्तरप्रदेश ( पूर्वांचल ) मे 5 लाख आबादी वाले मुसहरो के पास न तो खेती योग्य ज़मीन है और न आजीविका के आय का साधन,  मुसहर न ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुडे होते है और इनके इलाके मे बच्चो के लिए आगंनवाडी केन्द्र होती है ! जिस कारण बहुत से मुसहर परिवार पंजाब की ओर पलायन कर रहे है और अधिकांशत को ईट - भट्टो मे बन्धुआ मज़दूर बनना पडता है !

एक दिलचस्प तथ्य मुसहरो के बारे मे यह है की काफी संख्या मे मुसहर धान एवम गेहूँ कटाई के समय पंजाब चले जाते है, कुछ कटाई मे लगे रहते है, सडक किनारे किसी बाज़ार के करीब रहने लगते है और कटाई के बाद कई किलोमीटर जाकर खेतो मे यहा - वहा बिखरा ( दरारो मे फसा ) अनाज बटोरकर उस अनाज को बाज़ार मे बेचते है, बेचने के बाद सबसे पहले खाने का सामन खरीदते है ! आस - पास गुरूद्वारा मिल गया तो वही खाना खा लेते है ! वहा उनके बच्चो के लिए शिक्षा, दोपहर भोजन योजना ( एम. डी. एम. ) आंगनवाडी कार्यक्रम ( आई. सी. डी. एस. ) नही होती !

जब वहा जाने वाले मुसहरो से पूछा गया " आप अपने घर से इतनी दूर क्यो जाते है," उन्होने बताया "  यदि खेतो मे अनाज नही मिला तो गुरूद्वारा तो है, इन गुरूद्वारा मे न तो छूआछूत है न ही पूर्वी उत्तरप्रदेश की तरह जाति के नाम उंची जातियो का अत्याचार, न ही पुलिसिया उत्पीडन !"

उनका कहना है कि मनरेगा मे न तो समय से काम मिलता है, न ही काम करने के बाद पूरी मज़दूरी, यदि काम मिल गया तो मज़दूरी के लिए रोजगार सेवक, ग्राम प्रधान, बैंको का चक्कर लगाना पडता है ! इस बीच तो हमारे बच्चे भूखे मर जायेंगे, इससे तो अच्छा है की खेतो मे बिखरा अनाज बटोरकर दिन भर मे एक समय भोजन तो मिल ही जाता है !"

मुसहरो के बच्चे भूखमरी और कुपोषण से सबसे अधिक बरसात मे अकाल मृत्यु के शिकार होते है, क्योकि उस समय न तो ईट - भट्टो पर बन्धुआगिरी से आधा पेट ही सही खाने का भोजन होता है, न मनरेगा का काम ! मुसहरो की स्थिति व संघर्षो के बाद बेलवा, सकरा, आयर, अनेई जैसे गांवो मे आंगनवाडी खुली, ज़मीने मिली, छूआछूत - जातपात कम हुआ, मुसहरो की आवाज़ सुनी जाने लगी, उनके बच्चे स्कूलो से जुडे, वहा एम. डी. एम. मिला,. एन. एम. बस्तियो मे आने लगी ! तो एक चमत्कार हुआ, बच्चो का कुपोषण और भूखमरी से मरना बन्द हुआ ! बच्चे तीसरे  -  चौथे कुपोषण की श्रेणी मे नही है, उनकी आंखो मे आज भी हाड्तोड मेहनत और जिन्दगी जीने की लालसा है !

सेना के ब्लैक कैट कमाण्डो को आधे पेट भोजन के बाद हाडतोड मेहनत के साथ आशा भरी जिन्दगी जीने वाले मुसहरो से जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए !

आंगनवाडी योजना चलने, सभी को लाल कार्ड मिलने, ईमानदारी से मनरेगा मे काम मिलने से सोनभद्र के प्रवासी घसिया लोंगो के बच्चे कुपोषण और भूखमरी से अब नही मर रहे है !

प्रधानमंत्री के साथ भोज खाने वाले करमा नृत्य के महान कलाकर घसिया आदिवासियो के 18 बच्चो का शहीद स्तम्भ ( जो कुपोषण और भूखमरी से मरे ) अहवाहन कर रहा है की यदि खाद्य सुरक्षाए बाल एवम महिला कल्याण की सभी योजनाए ईमानदारी से लागू हो, तब कुपोषण पर "  हंगाम रिपोर्ट" के हंगामा पर रोक लगाया जा सकता है !

उत्तरप्रदेश के चुनाव मे देखना है की जाति और धर्म पर राजनीति करने वाले और राष्ट्रवाद के नारे लगाने वाले कब बच्चो के कुपोषण और भूखमरी पर रोक लगाते है ! 

                                                                                                                                                                                                                                                                                                       भवदीया

                                                                                                                          श्रुति नागवंशी

                                                                                                                                                             ( सन्योजिका )

                                                                                            साबित्री बाई फूले महिला पंचायत

                                                                                                      www.dalitwomen.blogspot.com

C/O :- मानवाधिकार जन निगरानी समिति ( P.V.C.H.R. ) 

सा 4 / 2., दौलतपुर, वाराणसी - 221002 ( 0 प्र0 )

Email:shruti@pvchr.asia                                                                               www.pvchr.asia